पोलावरम परियोजना प्राधिकरण

  • जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस)
  • वित्‍त मंत्रालय/ नीति आयोग
  • पोलावरम परियोजना प्राधिकरण (पीपीए)
  • निष्पादन एजेंसी
  • सीडब्‍ल्‍यूसी - समीक्षा डिजाइन सलाहकार
  • सीएसएमआरएस - गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन
  • सीडब्ल्यूपीआरएस - मॉडल अध्ययन
  • वाप्‍कोस - परियोजना निगरानी और समन्वय सलाहकार
  • बांध डिजाइन समीक्षा पैनल (डीडीआरपी)
  • विशेषज्ञ समिति
  • आरएंडआर कार्यों के लिए निगरानी समिति

जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस)

जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस)

देश के जल संसाधानों के विकास और नियामकता हेतु नीति संबंधी दिशानिर्देश और कार्यक्रम तैयार का दायित्‍व जल शक्ति मंत्रालय का है। जलशक्ति मंत्रालय द्वारा दीर्घकालिक सिंचाई कोष को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के साथ जोड़ा गया है, ताकि नोडल एजेंसियों जैसे राष्‍ट्रीय जल विकास एजेंसी और पोलावरण परियोजना प्राधिकरण के माध्‍यम से आंध प्रदेश सरकार को पोलावरण सिंचाई परियोजना के खर्चों की प्रतिपूर्ति की जा सके।

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वित्‍त मंत्रालय/ नीति आयोग

वित्‍त मंत्रालय/ नीति आयोग

नीति आयोग के उपाध्यक्ष की सिफारिशों के दृष्टिगत, कि यह उचित होगा कि इस परियोजना का कार्यान्‍वयन आंध्र प्रदेश सरकार (क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण परियोजना है और राज्य सरकार इसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए इच्छुक है) द्वारा किया जाए, इस परियोजना को भारत सरकार की ओर से राज्‍य सरकार द्वारा कार्यान्वित किए जाने संबंधी राज्‍य सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार सहमत हो गई है।

सचिव, जल शक्ति मंत्रालय के दिनांक 05/09/2016 के पत्र संख्या एस(डब्‍लयूआर)/विविध/2016 अनुसार, केन्‍द्र सरकार द्वारा पोलावरम परियोजना के निधियन हेतु दिनांक 30.09.2016 को फा. सं. 1(2)/पीएफ-1/2014(पार्ट) के माध्यम से भारत सरकार के वित्त मंत्री का अनुमोदन सम्‍प्रेषित किया गया कि केंद्र सरकार दिनांक 01/04/2014 से लेकर उक्‍त तिथि तक, सिंचाई घटक की लागत सीमा तक, पोलावरम परियोजना के बाकी लागत के केवल सिंचाई घटक की लागत का 100% वित्तपोषण करेगी।

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Overview

पोलावरम परियोजना प्राधिकरण (पीपीए)

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 के अनुसार, पोलावरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है और लोक हित में यह उचित है कि पोलावरम सिंचाई परियोजना के नियामन और विकास के कार्य को संघ सरकार अपने नियंत्रण में ले। अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार को परियोजना को क्रियान्वित करना होगा और पर्यावरण, वन, और पुनर्वास और पुनर्विस्थापन नियम सहित सभी आवश्यक मंजूरियां प्राप्त करनी होगी।

अधिनियम के अनुसार, केंद्र सरकार को परियोजना को क्रियान्वित करना होगा और पर्यावरण, वन, और पुनर्वास और पुनर्विस्थापन नियम सहित सभी आवश्यक मंजूरियां प्राप्त करनी होगी।

भारत सरकार की ओर से, आंध्र प्रदेश सरकार का जल संसाधन विभाग, पोलावरम सिंचाई परियोजना (पीआईपी) के संबंध में एक कार्यकारी एजेंसी के रूप में कार्य रहा है। पीआईपी की देख-रेख का कार्य मुख्‍य अभियंता, पीआईपी, जल संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है जबकि भूमि अधिग्रहण और आरएंडआर के कार्य को विशेष आयुक्त (आरएंडआर) की निगरानी में किया जा रहा है।

नये बने राज्‍य तेलंगाना द्वारा पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए सहमति दी गई मानी जाएगी।

अधिनियम के उक्त प्रावधानों के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु केंद्र सरकार ने पोलावरम परियोजना प्राधिकरण और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण शासी निकाय का गठन किया है।

 
  • पीपीए की शासी निकास और कार्य

    दिनांक 28 मई 2014 की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, पोलावरम परियोजना प्राधिकरण का एक शासी निकाय होगा, जिसमें निम्‍नलिखित शामिल होंगे:

    1. सचिव, भारत सरकार, जल संसाधन मंत्रालय - अध्यक्ष
    2. मुख्य सचिव आंध्र प्रदेश सरकार - सदस्य
    3. मुख्य सचिव, तेलंगाना सरकार - सदस्य
    4. सचिव, भारत सरकार, पर्यावरण और वन मंत्रालय, वित्त (व्यय विभाग), विद्युत और जनजाति कल्याण मंत्रालय (या उनके नामिति (ओं) संयुक्त सचिव के पद से कम नहीं) - सदस्य
    5. मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पोलावरम परियोजना प्राधिकरण - सदस्य
    6. योजना आयोग के प्रतिनिधि (संयुक्त सचिव के पद से कम नहीं) - सदस्य
    7. पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के सदस्य सचिव - सदस्य सचिव

    शक्तियां, कार्य और दायित्‍व :

    1. पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के शासी निकाय को शक्ति प्रदान की गई है और उस पर पोलावरम परियोजना के विकास और विनियमन हेतु पर्यावरण, वन और पुनर्वास और पुर्नस्‍थापन मानदंडों सहित सभी अपेक्षित मंजूरियों को प्राप्‍त करने हेतु सभी प्रकार के अथवा किसी भी प्रकार के आवश्यक, पर्याप्त और उपयुक्त कार्य करने की जिम्‍मेदारी होगी।
    2. शासी निकाय की शक्तियों, कार्यों और दायित्‍वों में निम्‍नलिखित शामिल होंगे –
      • (क) पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के कामकाज की निगरानी;
      • (ख) पर्यावरण और वन मंत्रालय से संवैधानिक स्वीकृतियों और योजना आयोग से निवेश स्वीकृति की त्वरित प्राप्ति;
      • (ग) सशर्त सांविधिक मंजूरियों और पोलावरम परियोजना से संबंधित गोदावरी जल विवाद अधिकरण के निर्णय के अनुरूप परियोजना के पूर्ण के दौरान और उसके पश्‍चात इष्‍टम लाभ शीघ्र प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से पोलवरम परियोजना के निर्माण कार्यक्रम और चरणों को अंतिम रूप देना।
      • (घ) प्राधिकरण के संगठनात्‍मक संरचना के बारे में निर्णय लेना और प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य सदस्यों और अधिकारियों को शक्तियां प्रत्‍यायोजित करना।
    Download - Govt. of India Gazette Notification dated May 28, 2014
  • पीपीए का गठन और कार्य

    दिनांक 28 मई 2014 की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, पोलावरम परियोजना प्राधिकरण (इसके पश्‍चात प्राधिकरण के रूप में संर्दर्भित) नामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा;

    1. प्राधिकरण में एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और ग्यारह सदस्य, निम्‍ननुसार, होंगे ;

    (i) मुख्य कार्यकारी अधिकारी – अध्यक्ष
    (ii) नये राज्‍य तेलंगाना के प्रधान सचिव अथवा सचिव, सिंचाई अथ्‍वा जल संसाधन विभाग - सदस्य
    (iii) आंध्र प्रदेश के उत्तराधिकारी राज्य के प्रमुख सचिव या जलसंचयन या जल संसाधन विभाग के सचिव - सदस्य
    (iv) आयोजना और डिज़ाइन और पावर विंग के प्रभारी के रूप में दो मुख्‍य अभियंता ( वरिष्‍ठ प्रशासनिक ग्रेड) केन्‍द्रीय जल अभियंता (ग्रुप 'क') सेवा और केन्‍द्रीय विद्युत अभियंता (ग्रुप 'क') सेवा प्रत्‍येक से एक-एक अभियंता – सदस्‍य
    (v) बांध और सम्‍बद्ध संरचनाओं, पावर हाउस और संबंधित कार्यों और नहर- प्रणाली के प्रभारी के रूप में राज्‍य सरकार द्वारा तैनात किए जाने वाले तीन अभियंता - सदस्य
    (vi) आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के भूमि- अधिग्रहण और पुनर्वास के प्रभारी आयुक्त – सदस्य
    (vii) वित्तीय सलाहकार, जल संसाधन मंत्रालय - सदस्य
    (viii) केंद्रीय जल अभियांत्रिकी (समूह 'क') सेवा से एक मुख्य अभियंता (वरिष्ठ प्रशासनिक श्रेणी) - सदस्य सचिव

    2. मुख्य कार्यकारी अधिकारी और सदस्यों को क्र. सं. (iv), (v) और (viii) पर केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा, जैसा भी मामला हो, पूर्णकालिक आधार पर प्राधिकरण में तैनात किया जाएगा।

    शक्ति, कार्य और कर्तव्य:

    1. प्राधिकरण अधिमानत: संबंधित राज्यों के विभागों और/अथवा किसी अन्य विशेषज्ञ एजेंसी के माध्यम से परियोजना का कार्यान्‍वयन करेगा और पर्यावरण, वन तथा पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन मानदण्डों सहित सभी अपेक्षित स्वीकृतियां प्राप्त करेगा और उसे पोलावरम परियोजना के विनियमन और विकास की शक्ति प्राप्‍त होगी।
    2. प्राधिकरण, जब कभी आवश्यक हो, पोलावरम परियोजना के अंतर्गत संभावित रूप से शामिल होने होने वाली भूमि के अधिग्रहण और प्राधिकरण को भूमि और सम्‍पत्ति उपलब्ध कराने तथा उसके अंतर्गत आने वाले विस्थापितों के मुआवजे और पुनर्वास से संबंधित मामलों में राज्यों द्वारा समयबद्ध और पूर्ण अनुपालन हेतु समुचित दिशा-निर्देश जारी करेगा।
    3. प्राधिकरण, जहां भी आवश्‍यक हो, पोलावरम परियोजना के संबंध में गोदावरी जल विवाद अधिकरण के आदेशों के प्रावधानों को कार्यान्वित करने हेतु ऑटोमैटिक रिकॉर्डर से युक्‍त ऐसे स्‍ट्रीम और अन्‍य गेजिंग स्‍टेशनों, निस्‍तारण, गाद और जल गुणवत्‍ता तथा वाष्‍प प्रेरक्षण स्‍टेशन तथा आवश्‍यक अभिलेखों की सुरक्षा हेतु समय समय पर आवश्‍यक मापक यंत्रों को स्‍थापित, अनुरक्षण करेगा और उन्‍हें संबंधित राज्य सरकार (सरकारों) अथवा केन्द्रीय जल आयोग द्वारा संचालित किया जाएगा।
    4. प्राधिकरण, गोदावरी जल विवाद अधिकरण के पंचाट के प्रावधानों को कार्यान्वित करने और अनुपूरित करने हेतु जल संसाधन लेखांकन संबंधी नियमों का निर्माण करेगा।
    5. प्राधिकरण, विद्युत मंत्रालय द्वारा यथा अधिसूचित राज्यों के मध्‍य पोलावरम परियोजना से उत्पादित विद्युत के वितरण के विनियमन का कार्य करेगा।
    6. प्राधिकरण एक जल वर्ष (1 जून से अगले वर्ष के 31 मई तक) में दस प्रतिदिन के आधार पर पोलावरम जलाशय के अंदर और बाहर भंडारित जल की मात्रा, प्रत्येक प्रमुख अथवा शाखा शीर्ष कार्यों के माध्यम से उपयोग किए गए जल की मात्रा, वाष्पीकरण और रिसाव क्षति का निर्धारण करेगा।
    7. प्राधिकरण या उसके द्वारा सम्‍यक रूप से प्राधिकृत प्रतिनिधि को ऐसी किसी भूमि और सम्पत्ति में प्रवेश का अधिकार होगा जिस पर पोलावरम जल के उपयोग के लिए किसी राज्य द्वारा मापन, वाष्पन के किसी प्रकार के कार्य या अन्य जलविज्ञान केन्द्र या मापन यंत्र का निर्माण, प्रचालन या रख रखाव किया गया है या किया जा रहा है, में प्रवेश की अनुमति होगी और इस कार्य के लिए प्रत्येक राज्य अपने उपयुक्त विभागों के माध्यम से प्राधिकरण और उसके प्राधिकृत प्रतिनिधियों को पूरा सहयोग और सहायता प्रदान करेगा।
    8. जब भी आवश्‍यक हो प्राधिकरण अपनी बैठक करेगा और गोदावरी जल विवाद अधिकरण के आदेशों के अनुसार पोलावरम जलाशय से जल की निकासी के तरीके और ब्यौरों सहित जल के उचित प्रबंधन के संबंध में निर्णय लेगा।
    9. प्राधिकरण, भारी वर्षा और दूरसंचार प्रणालियों की रिर्पोटिंग सहित बाढ़ पूर्वानुमान और बाढ़ नियंत्रण की प्रभावी प्रणाली की स्थापना, रखरखाव और प्रचालन हेतु उपयुक्त निर्देश जारी करेगा और प्राधिकरण वार्षिक रूप से बाढ़ के दौरान जलाशयों के प्रचालन से संबंधित आंकड़ों को प्रकाशित करेगा और इन्‍हें संबंधित राज्यों को उपलब्ध कराएगा।
    10. प्राधिकरण, शासी निकाय और केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर निर्देशित अन्य कार्यों का भी निष्‍पादन करेगा।

    Download - Govt. of India Gazette Notification dated May 28, 2014

 

निष्पादन एजेंसी

निष्पादन एजेंसी

परियोजना के समयबद्ध निष्पादन हेतु भारत सरकार की ओर से आंध्र प्रदेश सरकार का जल संसाधन विभाग पोलावरम सिंचाई परियोजना (पीआईपी) की निष्पादन एजेंसी है। मुख्य अभियंता, पीआईपी, डब्ल्यूआरडी द्वारा पीआईपी की निगरानी की जा रही है, जबकि एलए और आरएंडआर कार्यों की देखरेख आंध्र प्रदेश सरकार के विशेष आयुक्त (आरएंडआर), डब्ल्यूआरडी, द्वारा की जा रही है।

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  • जल संसाधन विभाग

    विशेष मुख्य सचिव जल संसाधन विभाग के प्रमुख हैं और परियोजना के समग्र निष्पादन की देखरेख मुख्य अभियंता, पीआईपी द्वारा की जा रही है।

    Know-more  

  • एलए एंड आर एंड आर

    आन्ध्र प्रदेश सरकार के विशेष आयुक्त (आर एंड आर), जल संसाधन विभाग द्वारा भूमि अधिग्रहण और पुर्नवास तथा पुर्नस्‍थापन कार्यों की देख-रेख की जा रही है।

    Know-more   View

  • संगठन चार्ट
 

सीडब्‍ल्‍यूसी - समीक्षा डिजाइन सलाहकार

सीडब्‍ल्‍यूसी - समीक्षा डिजाइन सलाहकार

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) जोकि जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत जल संसाधन के क्षेत्र में एक शीर्ष तकनीकी संगठन है, को जीडब्ल्यूडीटी अवार्ड के तहत निहित प्रावधानों के अनुसरण में परियोजना के डिजाइन घटकों के पुनरीक्षण की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है।

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केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला (सीएसएमआरएस) - गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन

केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला (सीएसएमआरएस) - गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन

पोलावरम परियोजना प्राधिकरण और केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला (सीएसएमआरएस) के बीच 12.02.2018 को गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन सलाहकार से संबंधित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

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सीडब्ल्यूपीआरएस - मॉडल अध्ययन

सीडब्ल्यूपीआरएस - मॉडल अध्ययन

आंध्र प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग के निदेशानुसार सीडब्ल्यूपीआरएस पोलावरम सिंचाई परियोजना के विभिन्न घटकों के लिए मॉडल अध्ययन करने और परामर्श देने के कार्य में संलग्‍न है।

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वाप्‍कोस - परियोजना निगरानी और समन्वय सलाहकार

वाप्‍कोस - परियोजना निगरानी और समन्वय सलाहकार

वाप्‍कोस लिमिटेड, जोकि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में एक मिनी रत्न -1 सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, को पोलावरम परियोजना प्राधिकरण द्वारा परियोजना निगरानी और समन्वय सलाहकार (पीएमसीसी) का कार्य सौंपा गया है।

पीएमसीसी के दायित्‍वों में परियोजना को समयबद्ध रूप से पूरा करने हेतु सभी सिविल कार्यों, एलए एंड आरआर गतिविधियों को शामिल करते हुए परियोजना संबंधी विभिन्न पहलुओं की निगरानी और समन्वय कार्य शामिल हैं। साथ ही इसमें वास्तविक और वित्तीय प्रगति, गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता आश्वासन और विभिन्न संविदात्मक और तकनीकी पहलू तथा समयबद्ध तरीके कार्यों को पूरा करने हेतु पीपीए और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग को कार्यों की प्रगति में तेजी लाने संबंधी सुझावों से अवगत कराना भी शामिल हैं।

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संगठन चार्ट

बांध डिजाइन समीक्षा पैनल (डीडीआरपी)

बांध डिजाइन समीक्षा पैनल (डीडीआरपी)

जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग ने पोलावरम परियोजना के तकनीकी रूप से सुदृढ़ और समयबद्ध निष्पादन हेतु सीडब्‍लयूसी के पूर्व अध्यक्ष ए. बी. पांड्या की अध्यक्षता एक बांध डिजाइन समीक्षा पैनल गठित किया है।

View - DDRP

विशेषज्ञ समिति

विशेषज्ञ समिति

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय की सहमति से सदस्य (डब्ल्यूपीएंडपी), सीडब्ल्यूसी, नई दिल्ली की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। View - Expert Committee

आरएंडआर कार्यों के लिए निगरानी समिति

आरएंडआर कार्यों के लिए निगरानी समिति

सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की अध्यक्षता में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा एक निगरानी समिति का गठन किया गया है।

  View - Monitoring Committee